
जीवन को अब तो जीने का संकल्प कर लिया ,इच्छाओं को भी अपनी हमने अल्प कर लिया
सबने सफल होने को रब का नाम है लिया,हमने तो अपना नाम ही शिवम् धर लिया
हमने तो अपना नाम ही शिवम् धर लिया ॥
बाधाओं से ये देखो इन्सान है घिरा मदिरा से मुक्त होने का भी काम न किया
कहता है मस्त होके ये जीवन है जी रहा ये जीना भी क्या जीना ये पल पल मर रहा ।
ये जीना भी क्या जीना ये पल पल मर रहा ॥
संकीर्ण सोच इसकी संकीर्ण चाल है ,दूजे की जीत इसकी जाने क्यों हार है
ये सोच के ही जीवन में जहर भर रहा ,अपने पे तो साइकल नहीं उसपे तो कर है ।
अपने पे तो साइकल नहीं उसपे तो कार है ॥
इर्ष्या को कर दे दूर तू जीवन से कर परे और हाथ जोड़ उसके तू धन्यवाद दे
हर चीज़ जो मिली है ये उपकार है उसका स्वीकार कर ये तुझको अथक प्यार है उसका ।
स्वीकार कर ये तुझको अथक प्यार है उसका ॥
फिर देख ये जीवन तेरा क्या रंग लायेगा खुश होगा तू सदा और दुःख दूर जाएगा
ये ऐश्वर्या है ऐसा कुबेर धन समक्ष,तेरा भी अक्ष होगा जन जीवन में प्रत्यक्ष ।
तेरा भी अक्ष होगा जन जीवन में प्रत्यक्ष ॥
जीवन को अब तो जीने का संकल्प कर जरा इच्छाओं को भी अपनी अब तो अल्प कर ज़रा
कर्मण्य व्यधिकरास्ये ये मंत्र है तेरा जीवन में ढाल इसको और कर्म कर जरा ।
जीवन में ढाल इसको और कर्म कर सदा ॥
जीवन को अब तो जीने का संकल्प कर जरा ।
इच्छाओं को भी अपनी अब तो अल्प कर जरा ।
जीवन को अब तो जीने का संकल्प कर ज़रा॥
---शिवम् भारद्वाज ---
सबने सफल होने को रब का नाम है लिया,हमने तो अपना नाम ही शिवम् धर लिया
हमने तो अपना नाम ही शिवम् धर लिया ॥
बाधाओं से ये देखो इन्सान है घिरा मदिरा से मुक्त होने का भी काम न किया
कहता है मस्त होके ये जीवन है जी रहा ये जीना भी क्या जीना ये पल पल मर रहा ।
ये जीना भी क्या जीना ये पल पल मर रहा ॥
संकीर्ण सोच इसकी संकीर्ण चाल है ,दूजे की जीत इसकी जाने क्यों हार है
ये सोच के ही जीवन में जहर भर रहा ,अपने पे तो साइकल नहीं उसपे तो कर है ।
अपने पे तो साइकल नहीं उसपे तो कार है ॥
इर्ष्या को कर दे दूर तू जीवन से कर परे और हाथ जोड़ उसके तू धन्यवाद दे
हर चीज़ जो मिली है ये उपकार है उसका स्वीकार कर ये तुझको अथक प्यार है उसका ।
स्वीकार कर ये तुझको अथक प्यार है उसका ॥
फिर देख ये जीवन तेरा क्या रंग लायेगा खुश होगा तू सदा और दुःख दूर जाएगा
ये ऐश्वर्या है ऐसा कुबेर धन समक्ष,तेरा भी अक्ष होगा जन जीवन में प्रत्यक्ष ।
तेरा भी अक्ष होगा जन जीवन में प्रत्यक्ष ॥
जीवन को अब तो जीने का संकल्प कर जरा इच्छाओं को भी अपनी अब तो अल्प कर ज़रा
कर्मण्य व्यधिकरास्ये ये मंत्र है तेरा जीवन में ढाल इसको और कर्म कर जरा ।
जीवन में ढाल इसको और कर्म कर सदा ॥
जीवन को अब तो जीने का संकल्प कर जरा ।
इच्छाओं को भी अपनी अब तो अल्प कर जरा ।
जीवन को अब तो जीने का संकल्प कर ज़रा॥
---शिवम् भारद्वाज ---